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आनन्द वृन्दावन
स्वामी सच्चिदानन्द जी सरस्वती महाराज

आनन्द वृन्दावन आश्रम
स्वामी श्री अखण्डानन्द मार्ग
वृन्दावन (मथुरा)
पिनः 281121
भारत

 

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आनन्द वृन्दावन आश्रम

 

 

श्रीवृन्दावनधाम में परमपूज्य प्रातःस्मरणीय महाराजश्री द्वारा स्थापित यह आश्रम अपनी अनूठी छवि रखता है । देश के प्रत्येक कोने से भक्त, जिज्ञासु, साधक, सन्त यहाँ पदार्पण करते रहते हैं ।
आश्रम स्थित भगवान भावभावेश्वर  शंकर -पार्वती  मन्दिर नृत्यगोपाल मन्दिर, श्रीराधाकृष्ण मन्दिर अपना त्रिकोण बनाये हुये हैं जहाँ, वहीं आनन्द दर्शन अपने गुरु की गम्भीर अनुश्रुति बिखेरता है । भक्त शिष्यों की भावना से आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरुपूर्णिमा, श्रावण कृष्ण अमावस्या को ‘आनन्द-जयन्ती’ और माघ शुक्ल एकादशी को ‘संन्यास-जयन्ती’ तथा मार्गशीर्षकृष्ण त्रयोदशी को ‘आराधन-उत्सव’ आदि उत्सव प्रतिवर्ष ,आनन्दपूर्वक मनाये जाते हैं और अनेक स्थानों से भी महाराजश्री के अनेक प्रेमी, भक्तजन इन पर्वों पर सम्मिलित होते हैं ।

इसके अन्तस्थ हृदयरूप ‘अध्यात्म विद्याकेन्द्र’-जहाँ भक्ति-संकीर्तन, साधन और ज्ञान गोष्ठी प्रायः चला ही करती है । इस प्रकार साधकों को एक स्वस्थ, दिव्य मानसिक वातावरण मिलने के कारण संसार के प्रलोभनों से सहज संरक्षण मिल जाता है । नृत्यगोपाल जी के समक्ष  विशाल हॉल में नित्यसत्संग का संचालन इसकी विशेष प्रकृति है ।प्रातःस्मरणीय परम पूज्य महाराजश्री के द्वारा  शुरू की गयी सभी आचार्यों की जयन्ती मनाने की प्रथा और तत्तद् क्षेत्र के विद्वानों को प्रवचन के लिये आमन्त्रित करना सांस्कृतिक समन्वय की दृष्टि से बहुत ही लोकप्रिय हो गया है। विशेष सत्संग के ये सार्वजनिक आयोजन महाराजश्री के उदार दृष्टिकोण का उत्तम उदाहरण है ।

‘आनन्द-वृन्दावन’ की अन्य गतिविधियों में गौ-सेवा भी अपने ढंग की अनूठी है । कई सौ गायों और बछड़ों का स्वर गूँजा करता है । बछड़ों की किलकारी सुनने लायक होती है । भगवान् भावभावेश्वर के निकटस्थ यज्ञशाला , कर्मकांडियों की वेदध्वनि से अनुप्रणित रहती है । निर्धूम यज्ञशाला में जाज्वल्यमान भगवान् अग्निदेव का प्राकट्य समय-समय पर आकृष्ट करता है । वेद विद्यालयों में बटु-समुदाय का समवेत श्रुतिस्वर और वेद शास्त्र , भागवत, व्याकरण आदि का शिक्षण स्वाध्याय की समुन्नति के शिखर का संकेत करता है । सभी मन्दिरों में नियमित रूपसे विधिवत् पूजन-अर्चन, भोग-आरती आदि नित्य ही होते हैं और समय-समय पर उत्सव भी सम्पन्न   होते हैं ।

प्रातः 7 बजे मधुकरी की अभ्यासी विरक्तों की टोली अपनी झोली भरती नजर आयेगीए तो संत.अतिथियों का आगमन और स्वागत.सत्कार तो निरन्तर चलता ही रहता है । पुस्तकालय एवं ऑडियो विजुअल लाइब्रेरी का लाभ विद्यार्थियों और विद्वानों सबको मिल रहा है । लोक सेवा के लिये क्लीनिक सहित डॉक्टर और दवाखाना की सेवा चैरिटेबल रूप में बड़ी तत्परता से हो रही है ।
आनन्द-वृन्दावन आश्रम कोई मिशनरी संस्था नहीं है; यहाँ तो अध्यात्मसाधना और सत्संग का ही विषेश महत्व है । यहाँ निवास करनेवाले साधक अपनी-अपनी साधना में प्रवृत्त रहते हैं । जिनको अपने जीवन में महाराजश्री के दर्शन सत्संग का लाभ नहीं मिला, वे भी देश-विदेश में रहनेवाले अध्यात्मप्रेमी लोग 'आनन्दवृन्दावन' आश्रम में आते हैं; महाराजश्री के विग्रह का दर्शन करते हैं, प्रवचन सुनते हैं और उनके ग्रन्थ पढ़ते-पढ़ते उनके शिष्य बन जाते हैं !

यहाँ है यह श्रीवृन्दावनधाम में तीर्थराजप्रयाग, जहाँ कर्म, भक्ति और ज्ञान का संगम है । ऋद्धि-सिद्धि से भरपूर यह प्रयाग है ।
पूज्य महाराजश्री के निर्देशन में बह्मलीन स्वामी ओंकारानन्द सरस्वती(महन्तजी) ने आनन्द वृन्दावन आश्रम एवं उसमें संचालित ट्रस्टों का 1987 से 2008 तक सुचारु रूप से संचालन किया । आज स्वामी सच्चिदानन्द जी आनन्द वृन्दावन आश्रम का संचालन कर रहे हैं और उन्होंने हाल ही में दिनांक-30 मार्च 2011 को स्वामी श्रवणानन्दजी को महाराजश्री द्वारा प्रवाहित कर्म,भक्ति और ज्ञान की त्रिवेणी को प्रवाहित बनाये रखने के लिये महन्त पद पर नियुक्त किया है।

 
 
 

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